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गजल मेरी आंखों मे थकन साफ साफ देख रातों की सारी ज

गजल

मेरी आंखों मे थकन साफ साफ देख
रातों की सारी जगन साफ साफ देख

चहरा उतर कर बोझल सा हो चुका है
दिल रोता है ये दुखन साफ साफ देख

मिट्टी से मरकर भी रिश्ता नही तोड़ा
मेरी चाह और लगन साफ साफ देख

कितने उजले कपड़े पहने हुए हूँ आज
मेरा दूर से भी कफन साफ साफ देख

नफरतों की सुलगती,जलती आगों मे
तपनेवालों की तपन साफ साफ देख

नई फसल मे कोई खसारा नही है अब
मुहब्बतों का ये चमन साफ साफ देख
मारुफ आलम

©मारुफ आलम जगन साफ साफ देख

#farmersprotest
गजल

मेरी आंखों मे थकन साफ साफ देख
रातों की सारी जगन साफ साफ देख

चहरा उतर कर बोझल सा हो चुका है
दिल रोता है ये दुखन साफ साफ देख

मिट्टी से मरकर भी रिश्ता नही तोड़ा
मेरी चाह और लगन साफ साफ देख

कितने उजले कपड़े पहने हुए हूँ आज
मेरा दूर से भी कफन साफ साफ देख

नफरतों की सुलगती,जलती आगों मे
तपनेवालों की तपन साफ साफ देख

नई फसल मे कोई खसारा नही है अब
मुहब्बतों का ये चमन साफ साफ देख
मारुफ आलम

©मारुफ आलम जगन साफ साफ देख

#farmersprotest
maroofhasan2421

Maroof alam

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जगन साफ साफ देख #farmersprotest #शायरी