हे मां तेरी इस दुनिया में लोगों ने , सच्चे को झूठा मान लिया। और एक झूठे के कहने पर ,तालाब लोग ने छान दिया।। मेरा हक खाने वालों की,यह नई कौन सी साजिश थी। तुम ही जानो शेरावाली मैंने तो, सर्वस्व आपको मान लिया।। घर छोड़ दिया है उसने भी,मेरी इन हालातो पर। धनहीन हो गए हो तुम सब ,ऐसा भी उसने ज्ञान दिया।। पर मां तो मां ही होती है,उसको क्या यह षड्यंत्र पता। जब मां ने रोकना चाहा तो,वह मां पर भी इल्जाम दिया।। जय हो शेरावाली माता,जय आदिशक्ति जय जगदंबा। जो चाहोगी वही होगा,ऐसा अब हमने मान लिया।। ©Vipul Mishra #navratri महाष्टमी..