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तुम फिर आना... (अध्याय-1-भाग-03) मिसेज माथुर की उस

तुम फिर आना...
(अध्याय-1-भाग-03)
मिसेज माथुर की उस क्रोध-भरी आवाज से अपने बिस्तर पे उछल पड़ा सोता हुआ अनन्त।आंखे खोलीं तो सामने उसकी दादी खडी थीं जो ग़ुस्से से उसी की ओर देख रहीं थीं।
"ये कोई वक़्त है तेरे सोने का अनन्त??
"तुझे ये अच्छी तरह से पता है कि कितनी मुश्किल से मैंने तेरा एडमिशन इस शहर के जाने-माने स्कूल में कराने के लिए वहां के प्रिंसिपल मिस्टर ब्रिगेंजा को राजी किया है।और एक तू है कि मेरी सारी मेहनत पर पानी फेरने पर तुला हुआ है।"
(आज से पहले अनन्त ने अपनी दादी का ऐसा स्वरूप पहले कभी नहीं देखा था।सिर्फ 4 साल का था वो जब उसने अपने माता-पिता और अपने दादाजी को खो दिया था।तब से उसे उसकी दादी ने ही पाला था।आज अपनी दादी का ऐसा स्वरूप देख हक्का-बक्का रह गया मासूम अनन्त।
मगर दादी...!
(मिसेज माथुर से कुछ कहना चाहता था अनन्त, परन्तु इससे पहले वो कुछ भी बोल पाता दोबारा फिर अनन्त पर भड़क उठीं मिसेज माथुर)
"अब क्या पूरा दिन यहीं खड़ा रहेगा?जा जल्दी से तैयार हो जा।तेरा टिफिन तैयार कर के रख दिया है मैंने टेबल पर।
(इससे पहले कि कुछ और बोलतीं मिसेज माथुर रॉकेट की भांति अपने कमरे से बाहर निकल गया अनन्त।

(To be continue)
प्यारे दोस्तों!आपको कहानी कैसी लग रही है please कमेंट करके ज़रूर बताएँ।धन्यवाद।

©#sadDeepak1992
  Tum fir aana-episode-03

Tum fir aana-episode-03 #सस्पेंस

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