दुआओ के सिलसिले जो चालू हुए , कहाँ कहाँ से फटे थे हम जो अब सिल रहे , हर रोज की उधेड़बुन में ना जानें कहाँ कहाँ निखर रहे #neerajwrites दुआओं के सिलसिले