पूर्णिमा की चांदनी रातों में जब चांद, तारें टिमटिमाते है तब पृथ्वी प्रकाश की चादर ओढ़े इतराती हैं! तभी देवलोक से एक दैवीय शक्ति निकलती हैं! जो 'माँ' के गर्भ में प्रवेश कर जाती हैं! और कुछ ही क्षणों बाद 'बधाईयाँ' लेकर दाई 'माँ' उपस्थित होती हैं! कहती है , बिटिया हुई है, बिटिया अब मुरझाए फूल खिलने लगते हैं तितलियाँ उड़ने लगती हैं हवाओं में खुशबु घुलने लगती हैं मानो भोर का समय हुआ हो जेसे.... गोकुल #विक्रम संवत 2054 #पूर्णिमा #तिथि:प्रथम #नक्षत्र:मार्गशीर्ष #योग:शुभ #रविवार #14 दिसम्बर #शुभ जन्मदिवस ©Gokul Sharma #Photography