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सपने के रंग डेरो थे पर जब टुट कर , बनीं आसू तो आं

सपने के रंग डेरो थे 
पर जब टुट कर , बनीं आसू तो आंसुओ कोई रंग न रहा 
दिल से निकली 
आखों से छलकी 
सच पूछो तो बेहने का कोई ढंग न रहा 
जिसके लिए रोया ताउम्र 
यादो के शिवा कभी वो संग नही रहा
 लोग केहते केहते केह देते है 
तू रहा नही पेहले जैसा
 लोट आ फिर से उस जिंदगी मै 
अब कौन समझाऐ कमबख्तों को
 की जी लेता फिर से वैसा 
 पर अब वो जिने का उमंग न रहा

©Pankaj Kumar
  आसू के रंग
pankajkumar3694

Pankaj Kumar

Silver Star
New Creator

आसू के रंग #शायरी

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