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मै अपनी हर चीज अपने ज़हन में बसे हर शक्ल और हर ख्

मै अपनी हर चीज अपने ज़हन में बसे 
हर शक्ल और हर ख्याल को उलट पलट करके देख चुका हूं 
फिर भी कोई उपाय नहीं मिला 
जिससे मन की उलझन थोड़ी भी हल्की हो जाए।
मुझे लगता है मेरा जीवन सुख दुख,मिलन विछोह और अभाव-उपलब्धि के धागो से ही बुनी हुई है.
ख़ैर ,दर्द से झुलसते रहने की आदत भी हो गई है 
अब।

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#hands Poetry Love #Dard #SAD

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