शरद ऋतु जब आती है हाथ-पैर सुन्न कर जाती है रजाई भी खुल जाती है तब गरम चीज ही भाती है सूरज दादा लगते प्यारे सर्दी में जब ठंड उतारे उनको चाहें इंशा सारे उनके ही आगे हाथ पसारे सर्दी भी तब रुक न पावे जब किरणें हम पर आवें बुजुर्ग बेचारे थर थर कांपें रजाई कंबल भी कम पड़ जावें सर्दी उनकी दुश्मन बनती उनकी क्षमता को ही हरती कमजोर शरीर को ही जकड़ती उन पर ही यह खूब अकड़ती जितने भी गरम कपड़े पहने फिर भी सर्दी को यह सहते सर्दी बहुत है हर वक्त कहते रजाई कंबल ही ओढ़े रहते सर्दी से कोई पार न पावे हाथों को तब ही रगड़े बांधे हर क्षण मुस्किल से काटे जब सर्दी सवार हो जावे ....................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #शरद_ऋतु #nojotohindi शरद ऋतु शरद ऋतु जब आती है हाथ-पैर सुन्न कर जाती है रजाई भी खुल जाती है तब गरम चीज ही भाती है