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डम डम डम डमरू बाजे मस्तक पर अर्धचंद्र साजे हे कैल

डम डम डम डमरू बाजे
मस्तक पर अर्धचंद्र साजे 
हे कैलाशपति शिव शंकर 
भोलेनाथ उमापति त्रिशूलधारी 
जपता रहूँ सदा ओम नमः शिवाय 
कण-कण में तुम ही समाए हो
नदियों की धारा बनकर 
सुबह में उजाला बनकर 
रातों में अंधकार करके 
तुम ही जग में समाए हो
बारंबार जपता रहूँ 
ओम नमः शिवाय 
ओम नमः शिवाय

©Prabhat Kumar #प्रभात  लाइफ कोट्स
डम डम डम डमरू बाजे
मस्तक पर अर्धचंद्र साजे 
हे कैलाशपति शिव शंकर 
भोलेनाथ उमापति त्रिशूलधारी 
जपता रहूँ सदा ओम नमः शिवाय 
कण-कण में तुम ही समाए हो
नदियों की धारा बनकर 
सुबह में उजाला बनकर 
रातों में अंधकार करके 
तुम ही जग में समाए हो
बारंबार जपता रहूँ 
ओम नमः शिवाय 
ओम नमः शिवाय

©Prabhat Kumar #प्रभात  लाइफ कोट्स