✍️आज की डायरी✍️ ✍️बरसात...✍️ सुहावना मौसम कितना हो बेकार हो जाता है । जब बादलों का बरसना यूँ लगातार हो जाता है । सुस्त सी पड़ जाती है ज़िन्दगी की रफ़्तार भी । ये शरीर आलस का जैसे घर बार हो जाता है ।। जब बरसता है बादल यूँ बिजली से लिपटकर । अपनों की याद में ये दिल तार तार हो जाता है ।। उजड़ी है जिनकी बस्तियां उदास वो इसलिए हैं । दो पल ही सही वही उनका संसार हो जाता है ।। अब "जी" को अच्छी नहीं लग रही ये पानी के बूंदे । अति से ज़्यादा मिलना "जी" का जंजाल हो जाता है ।। ✍️नीरज✍️ ©डॉ राघवेन्द्र #rainfall