संतुष्टि से भरे घट को छोड़ मृगतृष्णा के पीछे भागते हैं, अंतर्मन को जागृत किये बिना ही ये दिन-रात जागते हैं। धरा पर सोपान गढ़े बिना ख्याली मीनारों को बाँचते हैं, अपनी कमियों को छोड़, दूसरों की कमियाँ जाँचते हैं। विलक्षण प्रतिभा पर क्षुद्र रूप से दरीचे को झाँकते हैं, वर्तमान में हाथ पर हाथ धरे, भविष्य की राह ताकते हैं। कर्म किये बिना ही फल की चाह में मारे-मारे फिरते हैं, चढ़ते हैं ख़्वाब के मीनारों पर धरा पर बेतहाशा गिरते हैं। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏 💫Collab with रचना का सार...📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को नवम् प्रतियोगिता में स्वागत करता है..🙏🙏 *आप सभी 4-8 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा। 💫 प्रतियोगिता ¥9:- भविष्य की राह ताकते हैं