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कहते बहुत है लोग,सुनते बहुत है लोग। बाते कुछ कही,ब

कहते बहुत है लोग,सुनते बहुत है लोग।
बाते कुछ कही,बाते कुछ अनकही।
सबके समझने का तरीका अलग है।
सबके कहने के,लब्ज़ अलग है।
कुछ अनदेखा, कुछ देखा
बयां करते बहुत है लोग।
समय,समझ की बात है
वक्त आने पर दगा
करते बहुत है लोग।
आज चमच बनते हैं तो
कल छुरा बनते बहुत है लोग।
गैरो से जुड़ते जुड़ते अपनो को 
खंजर, घोपते बहुत है लोग।

©Archana Chaudhary"Abhimaan"
  #छुरा