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क्यों जलाती हो मुझे, जबकि तुम जानती हो मैं तुम्हे

क्यों जलाती हो मुझे, जबकि तुम जानती हो
मैं तुम्हे चाहता हूं ,तुम्ही तो दिल मे रहती हो
आ जाओ मेरे पास फिर से
क्यों अपनी मोह्बत में मुझे रुलाती हो
तेरा चेहरा जो ना देखूं ,तो फिर क्या देखूं
क्यों मैं तेरा ख्वाब सुनहरा ना देखूं
मेरी बाहों से जो दूर रहती हो
वक़्त अपना कैसे बिताती हो
हम बने है एक दूसरे के लिये
बात मेरी क्यों नही मान लेती हो
बिना बात क्यों हर रोज जलाती हो
अश्क़ अश्क़ रहूंगा तुझमे
लहू लहू बहूँगा तुझमे
क्यों मुझे अपना बनाने से डरती हो । #रोम रोम रहूंगा तुझमे, ख्वाब ख्वाब दिखूंगा तुझमे । वक़्त बे वक़्त महकूगा तुझमे । सुबह शाम दिखूंगा तुझमे । लहू लहू बहूँगा तुझमे । सब्ज सब्ज खिलूँगा तुझमे । अश्क़ अश्क़ बहूँगा तुझमे ।।
क्यों जलाती हो मुझे, जबकि तुम जानती हो
मैं तुम्हे चाहता हूं ,तुम्ही तो दिल मे रहती हो
आ जाओ मेरे पास फिर से
क्यों अपनी मोह्बत में मुझे रुलाती हो
तेरा चेहरा जो ना देखूं ,तो फिर क्या देखूं
क्यों मैं तेरा ख्वाब सुनहरा ना देखूं
मेरी बाहों से जो दूर रहती हो
वक़्त अपना कैसे बिताती हो
हम बने है एक दूसरे के लिये
बात मेरी क्यों नही मान लेती हो
बिना बात क्यों हर रोज जलाती हो
अश्क़ अश्क़ रहूंगा तुझमे
लहू लहू बहूँगा तुझमे
क्यों मुझे अपना बनाने से डरती हो । #रोम रोम रहूंगा तुझमे, ख्वाब ख्वाब दिखूंगा तुझमे । वक़्त बे वक़्त महकूगा तुझमे । सुबह शाम दिखूंगा तुझमे । लहू लहू बहूँगा तुझमे । सब्ज सब्ज खिलूँगा तुझमे । अश्क़ अश्क़ बहूँगा तुझमे ।।

#रोम रोम रहूंगा तुझमे, ख्वाब ख्वाब दिखूंगा तुझमे । वक़्त बे वक़्त महकूगा तुझमे । सुबह शाम दिखूंगा तुझमे । लहू लहू बहूँगा तुझमे । सब्ज सब्ज खिलूँगा तुझमे । अश्क़ अश्क़ बहूँगा तुझमे ।। #शायरी