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1222 1222 122 जहाँ का हर सितम हंस के सहा है

1222    1222    122
जहाँ का हर सितम हंस के सहा है
रहो  तुम  खुश  यही  मेरी  दुआ है

भरोसा  कर  न गैरो  पे  यहाँ  तुम
दिलो  को   दर्द  गैरो  से  मिला  है

बसी है दिल में अब मूरत तुम्हारी
मेरे  दिल  में  तेरा  ही  बुतकदा है

दिखाई  दे   रहे  जो   दाग  मुझमें
मुहब्बत का मिला हमको सिला है

शफक तो आज  भी दीदार का है
बना  कर  फासला  तुमने  रखा है

तड़फता  ही रहूँ  चाहत में उसकी
खजालत   में  यही  मेरे  लिखा है
     ( लक्ष्मण दावानी ✍ )
17/1/2017
शफक - जूनून
खजालत - भाग्य

©laxman dawani #covidindia #Love #Life #romance #Poetry #gazal #experience #poem #Poet #Knowledge
1222    1222    122
जहाँ का हर सितम हंस के सहा है
रहो  तुम  खुश  यही  मेरी  दुआ है

भरोसा  कर  न गैरो  पे  यहाँ  तुम
दिलो  को   दर्द  गैरो  से  मिला  है

बसी है दिल में अब मूरत तुम्हारी
मेरे  दिल  में  तेरा  ही  बुतकदा है

दिखाई  दे   रहे  जो   दाग  मुझमें
मुहब्बत का मिला हमको सिला है

शफक तो आज  भी दीदार का है
बना  कर  फासला  तुमने  रखा है

तड़फता  ही रहूँ  चाहत में उसकी
खजालत   में  यही  मेरे  लिखा है
     ( लक्ष्मण दावानी ✍ )
17/1/2017
शफक - जूनून
खजालत - भाग्य

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