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चहरे पर मुस्कान आ गई। खाया पिया,खेला कुदा कुछ नही

 चहरे पर मुस्कान आ गई।
खाया पिया,खेला कुदा कुछ नहीं।
बस कोई ऐसी मिली जिसके लिए लगता है जान जा रहीं।
खुब ढुढा हमने उसे लेकिन  पता चला 
वो पिछे रस्ते से गांव जा रही।
मन तो बड़ा परेशान हुआ, सबके रहते सुन सान हुआ।
ये कैसा इम्तहान हुआ।
मेला तो हुआ नहीं मगर अनजाने मे प्यार हुआ।
(आज की हकीकत)

©Rohit Tejaswi
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