कितना अजीब है ना भीड़ के बीच में अकेला होना कितना अजीब है ना भरी बरसात में रोना कितना अजीब है ना खुद को तिल तिल कर मरते देखना कितना अजीब है ना उनका बिन वजह पानी में पत्थर फेकना कितना अजीब है ना बिन कहे उनका यूं चले जाना कितना अजीब है ना अपनों का गैरों में नाम आना कितना अजीब है ना जिंदगी का यू बिन रुके चले जाना कितना अजीब है ना सांसों का अचानक से मंद हो जाना कितना अजीब है ना खुद का खुद में सिमट जाना कितना अजीब है ना चांद को एकटक देखते जाना कितना अजीब है ना चेहरे पर चेहरे लगे पाना कितना अजीब है ना बात होने पर बात ना होना कितना अजीब है ना खास का एकदम बकवास होना कितना अजीब है ना अपनी इच्छाओं से ऊपर हो जाना कितना अजीब है ना मरे हुए का फिर से मर जाना कितना अजीब है ना...$ ©Neil Thakur #moon #hangover #alone #shayari_maniac #no_hash_tags