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मेरी सहेली, विचित्र पहेली...., कहती थी कंजूस हो अ

मेरी सहेली, विचित्र पहेली...., 
कहती थी कंजूस हो अभिव्यक्त नहीं करती, 
भाव हैं पर शब्दों मे नहीं उकेरती, 

मैंने भी झट कहा मान लिया.... 
कह दिया तुम गुलाब हो, 
बड़ी लाजवाब हो, 
खुबसूरत बेहिसाब हो, 

वो अलबेली, दिखाकर हथेली,
गुस्से से भरकर बोली..... 

मेरी शायरी मुझपर आजमाती हो, 
बातें खूब बनाती हो, 

कल ही मुझसे लड़ गयी है, 
बनती बात बिगड़ गयी है....

©Rakhi Anamika
  मेरी सहेली
rakhisinha1608

Rakhi Anamika

New Creator
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मेरी सहेली #कविता

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