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क्यों नहीं करता कोई तारीफ़ "कानों" की..! कभी देत

क्यों नहीं करता कोई तारीफ़ "कानों" की..! 
 कभी देते  
ऐनक को  
सहारा, 
कभी बाली 
के लिए 
हैं दर्द सहते,
और अब 
दौर - ए - कोरोना में,
क्यों नहीं करता कोई तारीफ़ "कानों" की..! 
 कभी देते  
ऐनक को  
सहारा, 
कभी बाली 
के लिए 
हैं दर्द सहते,
और अब 
दौर - ए - कोरोना में,

कभी देते ऐनक को सहारा, कभी बाली के लिए हैं दर्द सहते, और अब दौर - ए - कोरोना में, #Kumaarsthought #vyatha #Kan #व्यथा #kumaarpoem #कान_का_दर्द