ज़िन्दगी किस तरह बसर होगी, दिल नहीं लग रहा मौहब्बत में। जौन एलिया................. दर्द का आलम और चारासाज लापता, कोई शराबी भी तो नहीं है सोहबत में। यार! बन बन कर मिलता है रकीब मुझसे, फुरकत* निहारी जा रही है कुरबत# में। *वियोग #निकट से राकेश कुमार डोगरा। दर्द का आलम और चारासाज लापता, कोई शराबी भी तो नहीं है सोहबत में। राकेश कुमार डोगरा।