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स्याह चिमनी पर पपरियाँ आ गयी है तेरे होंठो की।। ज

स्याह चिमनी पर पपरियाँ आ गयी है तेरे होंठो की।।
जिंदगी का कारोबार वर्षों से बंद है।।
ये काला धुआं जो उठ रहा है फिर।।
फिर बुनोगे क्या मोहब्बत का कपास।
पर पहले से नही रह गए रेशे 
उम्मीदों के।
न ख्वाब है,न जिद,न नादान रहा मैं।।
बस ज़ख्म है,तड़प है,और मेरी उंगलियों की शैतानी।।
ज़ख्मो में फिर तेरा अक्स उभारता रहता है।।
अब तो खत भी नही बचे ।
के जिनमे थे तेरे अश्कों के नीले धब्बे।।
जैसे मोहब्बत पे सरकारी मुहर।।
तालाबंदी की।।
सभी तोहफे मैं खुद,झोंक आया था भट्टी में।
कोई लोहा पिघला रहा था,बहुत देर से।
कानों में।
वो गुलाब जो सूखे हुए,एहसासों के कायल थे।
उन्हें ही पीस के थोप दिया मैंने।।
तेरी यादों पे।।
सडक़ किनारे कहीं गिरे थे गीत।। पत्थर से हो गए।।
अब दर्द का इलाज यही दर्द है शायद।
मैं पत्थर हो रहा हूँ,पर ज़ख्म तेरा भरता ही नहीं।
मुझसे छुट्ती ही नहीं किसी सूरत चाकरी तेरी।।
मेरे ज़ख्म तेरी बेवफाई याद रखते है। #Heart #शायरी #Shayari #Nojoto #Love #Nzm
स्याह चिमनी पर पपरियाँ आ गयी है तेरे होंठो की।।
जिंदगी का कारोबार वर्षों से बंद है।।
ये काला धुआं जो उठ रहा है फिर।।
फिर बुनोगे क्या मोहब्बत का कपास।
पर पहले से नही रह गए रेशे 
उम्मीदों के।
न ख्वाब है,न जिद,न नादान रहा मैं।।
बस ज़ख्म है,तड़प है,और मेरी उंगलियों की शैतानी।।
ज़ख्मो में फिर तेरा अक्स उभारता रहता है।।
अब तो खत भी नही बचे ।
के जिनमे थे तेरे अश्कों के नीले धब्बे।।
जैसे मोहब्बत पे सरकारी मुहर।।
तालाबंदी की।।
सभी तोहफे मैं खुद,झोंक आया था भट्टी में।
कोई लोहा पिघला रहा था,बहुत देर से।
कानों में।
वो गुलाब जो सूखे हुए,एहसासों के कायल थे।
उन्हें ही पीस के थोप दिया मैंने।।
तेरी यादों पे।।
सडक़ किनारे कहीं गिरे थे गीत।। पत्थर से हो गए।।
अब दर्द का इलाज यही दर्द है शायद।
मैं पत्थर हो रहा हूँ,पर ज़ख्म तेरा भरता ही नहीं।
मुझसे छुट्ती ही नहीं किसी सूरत चाकरी तेरी।।
मेरे ज़ख्म तेरी बेवफाई याद रखते है। #Heart #शायरी #Shayari #Nojoto #Love #Nzm