चाहे रिश्ते कितने भी सुलझ जाए। जख्म हरा रहता है, चाहे हम कितने भी बदल जाए। जख्म हरा रहता है, चाहे जिंदगी में हुई गलतियां सुधार भी जाए। जख्म हरा रहता है, चाहे वक्त कितना भी मरहम लगाया जाए। हो कोई भी मौसम ज़ख़्म हरा रहता है। #ज़ख़्म #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi