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कश्ती मेरी डूब रही थी दूर किनारा था लेकिन जाने किस

कश्ती मेरी डूब रही थी दूर किनारा था लेकिन
जाने किसने हाथ बढ़ाकर मुझे किनारे लगा दिया
होश जब आया मुड़कर देखा पास से कोई गुज़रा था
मुझे बचाने आसमान से कोई फरिश्ता उतरा था
मेरी मां की दुआएं थी जो मुझे बचाने आई थी
बनके जो पतवार मेरी कश्ती को बचाने आई थी

©मुस्कान शर्मा
  #Sunrise एक सूरज दूआओं का

#Sunrise एक सूरज दूआओं का #लव

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