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ताउम्र हम उलझे रहे एक तुझमें ही ज़िन्दगी, गुम रही न

ताउम्र हम उलझे रहे एक तुझमें ही ज़िन्दगी,
गुम रही न जाने क्यूँ तू किसी और की धुन में।
 #उलझे रहे#
ताउम्र हम उलझे रहे एक तुझमें ही ज़िन्दगी,
गुम रही न जाने क्यूँ तू किसी और की धुन में।
 #उलझे रहे#

#उलझे रहे#