मेघपुष्प बरसे अंखियां दर्शन को तरसे.. अंखियां दर्शन को तरसे, जब मेघपुष्प बरसे। पेड़ पौधे मुस्काए उड़े गगन पंछी हरसे छाए जो काली घटा मेरो नैन ऐसो बरसे देखे जो नही तुझको माने मनाए ये ना बस एकि भाषा जाने ‘नहि’ सो अखियन से ढरके जब मेघपुष्प बरसे...२। जे मौसम सुहाए जाके पास हो खुदाए (प्रेम)२ संजोगी को जे भाए, जाय वियोगी तरसाए हिलोरे मन के डोरे, तन आंधी सा बौराए,! देखि एक बेरी छाया तेरी , बस नयन एक भरके जब मेघपुष्प से बरसे.....२। ©Aakash Dwivedi #kavita #Shayari #विचार #Like #Love #AakashDwivedi #कहानी #कविता #Walk