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धुंध सरेआम बिखरी हुई थी ओंस की बूंद बूंद टपक रही थ

धुंध सरेआम बिखरी हुई थी
ओंस की बूंद बूंद टपक रही थी

हवाओं का कहर इस तरह हावी था
कि कोहरे की चादर उसके शहर से मेरे शहर तक फैली हुई थी

तलाश करती उस चेहरे को बिखरी धुंध में
मगर कुछ नजर नहीं आता

बेरहम मौसम को इश्क ए जुनून में
सब्र नहीं आता

सर्दी की कंपकपाहट में पशमीना शॉल ओढ़े
भीगे रास्तों की हरी घास में 

टहलते कदमों से
निकलती वो घर से मिलने की आस में

 आकर्षित होकर जब डुब जाओगे इश्क के सुरूर में
तब नजर आएगी धुंध ही धुंध,,,

खूबसूरती रूप की हो या गुणों की 
छू देगी तुम्हें बूंद बूंद,,,

एहसासों के काफिले में 
मन को रिझाने वाले गीत मिलेंगे
धुंध सरेआम बिखरी हुई थी
ओंस की बूंद बूंद टपक रही थी

हवाओं का कहर इस तरह हावी था
कि कोहरे की चादर उसके शहर से मेरे शहर तक फैली हुई थी

तलाश करती उस चेहरे को बिखरी धुंध में
मगर कुछ नजर नहीं आता

बेरहम मौसम को इश्क ए जुनून में
सब्र नहीं आता

सर्दी की कंपकपाहट में पशमीना शॉल ओढ़े
भीगे रास्तों की हरी घास में 

टहलते कदमों से
निकलती वो घर से मिलने की आस में

 आकर्षित होकर जब डुब जाओगे इश्क के सुरूर में
तब नजर आएगी धुंध ही धुंध,,,

खूबसूरती रूप की हो या गुणों की 
छू देगी तुम्हें बूंद बूंद,,,

एहसासों के काफिले में 
मन को रिझाने वाले गीत मिलेंगे
vandana6771

Vandana

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