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मिले अपनी ख़ुशनुमा जिंदगी से वक़्त दो पल का, तो जरा

मिले अपनी ख़ुशनुमा जिंदगी से वक़्त दो पल का,
 तो जरा मरुस्थल की सैर करियेगा,
जिसकी जिंदगी हो मात्र वीरान,शायद कोई मुझ सा अभागा न मिलेगा,
कोई नही मेरा यहाँ न अपना कहने वाला,
नहीं मिला मुझे कभी कोई प्यार का प्याला,
दूर तक बस वीराना ही हैं वीराना ,
किस को कहूँ अपना ,यहाँ किसी को न रहना,
मैं अपने इस तुच्छ जीवन मे एक बूंद को भी हूँ तरसा,
एक मेघ का अंश भी न मेरे यहाँ कभी बरसा,
बस एक चंद प्यार के राही को हूँ तरसा,
मैंने ख़ूब कोशिश भी की,कि एक खिले पुष्प को खोजने की,
पर मैं हताशा ही वापिस लौटा,
बताऊँ क्या मैं आपको,इतना भाग्य हैं मेरा खोटा,
मुझे हल पल मेरा दुख हैं खाता ,
तू भाग्यशाली है जो तू एक परिवार को हैं पाता,
बस मेरी गुज़रिश हैं रब से ,तुझे सारी खुशियाँ मिले हक से,
जो हो तू कभी उदास सोचना मुझे मन से,
बढ़ जा खुशियों के दौर में तेरी जिंदगी सँवर जाएगी,
सच मरुस्थल की सैर तेरे दिल के अंजुमन में घर कर जाएगी,
यहाँ मैं मात्र प्यासा हूँ, पर तेरी जिंदगी को नमी से भर जाएगी,



 #मरुस्थल_की_सैर #newchallenge

There is new challenge of poem/2 line/4 line in whatsapp group (link in bio)
Today's Topic is *मरुस्थल की सैर*
Any writer can write anything but *remember the rule*

*RULES*📜-
मिले अपनी ख़ुशनुमा जिंदगी से वक़्त दो पल का,
 तो जरा मरुस्थल की सैर करियेगा,
जिसकी जिंदगी हो मात्र वीरान,शायद कोई मुझ सा अभागा न मिलेगा,
कोई नही मेरा यहाँ न अपना कहने वाला,
नहीं मिला मुझे कभी कोई प्यार का प्याला,
दूर तक बस वीराना ही हैं वीराना ,
किस को कहूँ अपना ,यहाँ किसी को न रहना,
मैं अपने इस तुच्छ जीवन मे एक बूंद को भी हूँ तरसा,
एक मेघ का अंश भी न मेरे यहाँ कभी बरसा,
बस एक चंद प्यार के राही को हूँ तरसा,
मैंने ख़ूब कोशिश भी की,कि एक खिले पुष्प को खोजने की,
पर मैं हताशा ही वापिस लौटा,
बताऊँ क्या मैं आपको,इतना भाग्य हैं मेरा खोटा,
मुझे हल पल मेरा दुख हैं खाता ,
तू भाग्यशाली है जो तू एक परिवार को हैं पाता,
बस मेरी गुज़रिश हैं रब से ,तुझे सारी खुशियाँ मिले हक से,
जो हो तू कभी उदास सोचना मुझे मन से,
बढ़ जा खुशियों के दौर में तेरी जिंदगी सँवर जाएगी,
सच मरुस्थल की सैर तेरे दिल के अंजुमन में घर कर जाएगी,
यहाँ मैं मात्र प्यासा हूँ, पर तेरी जिंदगी को नमी से भर जाएगी,



 #मरुस्थल_की_सैर #newchallenge

There is new challenge of poem/2 line/4 line in whatsapp group (link in bio)
Today's Topic is *मरुस्थल की सैर*
Any writer can write anything but *remember the rule*

*RULES*📜-

#मरुस्थल_की_सैर #newChallenge There is new challenge of poem/2 line/4 line in whatsapp group (link in bio) Today's Topic is *मरुस्थल की सैर* Any writer can write anything but *remember the rule* *RULES*📜- #YourQuoteAndMine