हे महादेव नदी में छी,बादल में छी नयन के आंचल में छी कखनो मीठगर कखनो खट्टगर अविरल सागर में छी। हिम में छी, वाष्प में छी ई प्राण के आस में छी, कखनो भैरगर कखनो हल्लुक अंजलि स लके गागर में छी। स्वर में छी, लय में छी संस्कार संग धर्म में छी, कखनो गीत में कखनो गजल में वेद स ल पुराण में छी। ग़म में छी, शबनम में छी मधुवन में छी, उपवन में छी, कखनों बूंद में कखनो रेत में पहाड़ स ल भाभर में छी। खेत भी छी, खलिहान में छी बाढ़ में छी वोन में छी, कखनो गाम में कखनो दालान में घर स ल आंगन में छी। हे महादेव नदी में छी,बादल में छी नयन के आंचल में छी कखनो मीठगर कखनो खट्टगर अविरल सागर में छी। हिम में छी, वाष्प में छी ई प्राण के आस में छी, कखनो भैरगर कखनो हल्लुक