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सब मिल सुनो हमारा किस्सा शहर का देखा अनोखा हिस्सा।

सब मिल सुनो हमारा किस्सा
शहर का देखा अनोखा हिस्सा।
कोई बन सेठ चलें हैं ठेठ
साथ लयकर चार चापलूस लठैत।

सब थे तनिक मंदबुद्धि भाई
हिलाते मुंडी, चलत गुमान 
मदमस्त हो और ठिठिआते
बिन सर पैर के भाई।

जब कहत सेठ अभी है रात 
चापलूस कहत हुजूर सही बात।
सेठ कहत मनोरंजन तनिक दिखलाओ 
चापलूस कहते मालिक अभी दिखलाई।

सबसे अनूठी बात तो ये है भाई
ये रीत तो सदियों से चली आई।
सेठ हो या सास की पदवी
पड़ती है हमेशा ही भारी।

झुकही पड़ी तानाशाही के आगे
गर झुकी तो आपन अस्तित्व गवाई।
गर ना झुकी तो खाक में मिल जाई।

©Archana Chaudhary"Abhimaan"
  #sahibaathuzur