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खैर हुए है देर अभो कैसे वापस आए सभो वो बूढ़ी मां ब

खैर हुए है देर अभो
कैसे वापस आए सभो
वो बूढ़ी मां बुलाएगी 
मन में थोड़ा मुस्कायेगी
पापा फिर से हस लेंगे थोड़ा
लेकिन तबियत लथड़े जायेगी
क्या फायदा इस शोहरत का
जो काम ना आए गर्दिश में
हाथ दुआ के लिए उठाना
रज़ा में या रंजिश में। वो आंचल मां का, पापा का कंधे पे हाथ
याद आता है अपना घर अपने जज़्बात
वो खाना खिलाना ज़बरदस्ती के साथ या
तोड़ मरोड़ के जोड़ना जब कुछ हो यार
याद आता है अपना घर, अपने जज़्बात

गाना होता था अंताक्षरी के साथ
उसमें चाय पकौड़े मिल जाएं
खैर हुए है देर अभो
कैसे वापस आए सभो
वो बूढ़ी मां बुलाएगी 
मन में थोड़ा मुस्कायेगी
पापा फिर से हस लेंगे थोड़ा
लेकिन तबियत लथड़े जायेगी
क्या फायदा इस शोहरत का
जो काम ना आए गर्दिश में
हाथ दुआ के लिए उठाना
रज़ा में या रंजिश में। वो आंचल मां का, पापा का कंधे पे हाथ
याद आता है अपना घर अपने जज़्बात
वो खाना खिलाना ज़बरदस्ती के साथ या
तोड़ मरोड़ के जोड़ना जब कुछ हो यार
याद आता है अपना घर, अपने जज़्बात

गाना होता था अंताक्षरी के साथ
उसमें चाय पकौड़े मिल जाएं
dharmdesai1546

Dharm Desai

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