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सोचता हूँ तुम, खुशनसीब हो दिल से अमीर हो,भले गरीब

सोचता हूँ तुम, खुशनसीब हो
दिल से अमीर हो,भले गरीब हो।

इस कदर दौड़ा दौलत के पीछे
जैसे  अमीर हो जाना ही नसीब हो।

तुम्हारी बातें, मेरी बेहतरी के लिए सदा
अब लगता हैं कि तुम ही मेरी हबीब हो

©Kamlesh Kandpal
  #thinkingofyou