हकीक़त की भट्टी में, ख्वाहिशें जलती रहेंगी, ये खुद की खुद से जंग है,चलती रहेगी। तुम जो देखते हो नीला समन्दर,आसमां तुम्हारा है। मेरा फलक कितना है, मेरी उड़ाने तय करेंगी ।। #अल्फाज_ए_दिल