कुछ तेरी कुछ मेरी कहानी, ये तो है वो किताबे जवानी। जोर जोर से जो धबके सीने में, ये है वो कुछ गुजरी यादे पुरानी। लम्हे बीते है,या है बिता जमाना, कुछ याद नहीं,वो बिता पैमाना। याद नहीं अब वो मौसम सर्दी, बीते है बहोत तुम बिन बारिश, गरमी। अक्सर ख़यालो में है तेरा ही पेहरा, निंदो में दिखे आज भी तेरा चेहरा। अब जा चुका कहीं दूर तू मुझसे, फिर क्यों है तू आज भी जिंदा मुजमे। "कौशल"।