रूठ कर अब आप से कहॉ जाएॅगे। तेरी ही नजरो मे खो जाएॅगे।। लूटा है चैन दिल का तू ने। जाम ए मोहब्बत पिए जाएॅगे।। नक्हल से तेरे मदहोश है हम। इज्तिराब फिर भी सहते जाएॅगे।। खफा होने से तुम्हारे कभी भी। वफा पर वफा हम निभाते जाएॅगे।। मुहब्बत ए अंजाम मुकम्मल को तेरे। उम्मीद मे हम जीते ही जाएॅगे।। मुंतजिर रहा हूॅ,मुंतजिर ही रहूॅगा। ख्वाबो के हिंडोले सजाते जाएॅगे।। ©Deoprakash Arya हिंडोले