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छोटे से बड़े हो गये छोड़ पापा की उंगली खुद से संभलने

छोटे से बड़े हो गये
छोड़ पापा की उंगली
खुद से संभलने लगे
गिरते सौ बार हैं
उठते हर बार हैं
खुशियां नहीं अब गम में जीते हैं 
रोने के लिए अब रात का इंतजार करते हैं
कोई सुने ना रोने की आवाज को
इस लिए तकीये में मुंह को दबा के रोते हैं

ये मुमकिन नहीं कि वो दौर फिर से लौटे
मुमकिन ये भी नहीं वो खुशियां फिर से लौटे
सो जाते हैं बिस्तर पर अकेले
करवटें बदल बदल कर
महसूस होती जब कमी उनकी
तो नींद में कांप जाते हैं

उठते हैं, मसलते आज भी आंखे हैं
ठंढे पानी पी कर खुद को बहलाते हैं
तन्हा भरी रात में
खुद को तन्हा हीं पाते हैं  

कभी सोते थे माँ की लोरिया सुन कर
और जगते थे पापा की डांटे सुन कर
अब थक कर सोते हैं और अलार्म से जगते हैं
जिंदगी के कश्मकश में हम बड़े हो जाते हैं
माँ का मातृत्व प्रेम
पिता का पितृत्व प्रेम 
से दूर हो जाते हैं
जिंदगी की कसमकश में
छोड़ कर माँ का आँचल 
और पापा की उंगली
कदम दर कदम
अपने आप से संभलने लगते हैं
ना जाने क्यों हम
 वक़्त की रफ्तार में खुद से जीना सीख जाते हैं।


तन्मय आदर्श love u mom dad miss u
छोटे से बड़े हो गये
छोड़ पापा की उंगली
खुद से संभलने लगे
गिरते सौ बार हैं
उठते हर बार हैं
खुशियां नहीं अब गम में जीते हैं 
रोने के लिए अब रात का इंतजार करते हैं
कोई सुने ना रोने की आवाज को
इस लिए तकीये में मुंह को दबा के रोते हैं

ये मुमकिन नहीं कि वो दौर फिर से लौटे
मुमकिन ये भी नहीं वो खुशियां फिर से लौटे
सो जाते हैं बिस्तर पर अकेले
करवटें बदल बदल कर
महसूस होती जब कमी उनकी
तो नींद में कांप जाते हैं

उठते हैं, मसलते आज भी आंखे हैं
ठंढे पानी पी कर खुद को बहलाते हैं
तन्हा भरी रात में
खुद को तन्हा हीं पाते हैं  

कभी सोते थे माँ की लोरिया सुन कर
और जगते थे पापा की डांटे सुन कर
अब थक कर सोते हैं और अलार्म से जगते हैं
जिंदगी के कश्मकश में हम बड़े हो जाते हैं
माँ का मातृत्व प्रेम
पिता का पितृत्व प्रेम 
से दूर हो जाते हैं
जिंदगी की कसमकश में
छोड़ कर माँ का आँचल 
और पापा की उंगली
कदम दर कदम
अपने आप से संभलने लगते हैं
ना जाने क्यों हम
 वक़्त की रफ्तार में खुद से जीना सीख जाते हैं।


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