तुम जा रही मुझे छोड़कर तो जाओ ग़र ना हो कोई नुकसान,तो वापस मत आना तुम्हे तो बनानी है ना खुद की पहचान मगर ना हो कोई पहचान,तो वापस मत आना इश्क़ भी खरीदने निकले हो दौलत से ग़र ना हो कोई दुकान,तो वापस मत आना तुम्हे तो मेरे सीने पर सोने की आदत है ना ऐसा ना हो कोई मचान,तो वापस मत आना तुम्हारे दिल को तो मैंने बड़े जख़्म दिए है ग़र ना हो कोई निशान,तो वापस मत आना तुम्हे तो हर शख़्स मेरे नाम से जानता है चलो ग़र ना हो बदनाम,तो वापस मत आना हा ध्यान से अपने सारे तोहफे लेते जाना और बचा ना हो कोई सामान,तो वापस मत आना बड़े लोगो के बीच रहते हो तो एक बात बतला दु ग़र ना हो कभी सम्मान,तो वापस मत आना ©क्षत्रियंकेश मचान!