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जब सब विरान पड़ा था, वो खुद मे लिए आग खड़ा था। हा वो

जब सब विरान पड़ा था,
वो खुद मे लिए आग खड़ा था।
हा वो पलास का पेड़
जाने कितनो को प्रेरित करता,
कल जब मै अन्नत निराशाओं को समेटे  घर कि ओर चली  तो रस्ते मे तुम्हे देखा
असख्य सम्भावनाएं लिए हुए
अटल , अडिग,
जहां दूर दूर तक सब शून्य था ,
तुम सृजन का अवतार लिए खड़े थे
सफर मे आते जाते जाने कितनो के सपनो को तुमने पुनजीर्वित किया होगा, उनमे से एक मै भी हूं।

परिस्थितियां केवल परीक्षा मात्र हैं
सम्भावनाओं का सृजन तुम्हें ही करना है।
-अलंकृता

©Alankrita Shah #कहानियां
#ख़ूबसूरत 
#कहानियाँ 
#ज़िन्दगी 
#safarnama
जब सब विरान पड़ा था,
वो खुद मे लिए आग खड़ा था।
हा वो पलास का पेड़
जाने कितनो को प्रेरित करता,
कल जब मै अन्नत निराशाओं को समेटे  घर कि ओर चली  तो रस्ते मे तुम्हे देखा
असख्य सम्भावनाएं लिए हुए
अटल , अडिग,
जहां दूर दूर तक सब शून्य था ,
तुम सृजन का अवतार लिए खड़े थे
सफर मे आते जाते जाने कितनो के सपनो को तुमने पुनजीर्वित किया होगा, उनमे से एक मै भी हूं।

परिस्थितियां केवल परीक्षा मात्र हैं
सम्भावनाओं का सृजन तुम्हें ही करना है।
-अलंकृता

©Alankrita Shah #कहानियां
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#ज़िन्दगी 
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