Unsplash गुम हो गए लफ्ज़ मेरे शोर शराबे की धुंध में है शांत ख्याल.... यूं ही पड़े है किसी कोने में चहलकदमी बहुत है अल्फाजों के गलियारों में सुन्न थे जो जज्बात कल तलक बोल उठे वो भी महफिलों में शोर हुआ उस नाजुक सी नज़्म पर ये मोहब्बत ये इश्क तो दर्द है बस अक्सर इंसान बिखरा है टूटा है इनसे लिपट कर। फिर वही सन्नाटा .........सर्द अंधेरे और फिर गुम हुए लफ्ज़ "ललित" शोर शराबे की धुंध में!!!! शोर शराबे की धुंध में........!!!!!! ©Lalit Saxena #leafbook हिंदी कविता