जब रिश्ते वो बचपन नादान बहुत याद आता है वो इश्क़ बेज़ुबान बहुत याद आता है रात बिस्तर पे लेट जो दिखता था छत से वो खुला आसमान बहुत याद आता है पीपल पर कुरेद के जो बनाया था गांव में वो दिल का निशान बहुत याद आता है क्लास बंक करने पे लगवा देते थे हाज़री उन दोस्तों का एहसान बहुत याद आता है ईश्वर ने महल सा घर दिया लेकिन वो पुराना मकान बहुत याद आता है देख मेरी चोट जो हो जाता था मां का वो चेहरा परेशान बहुत याद आता है सच की राह बेटा कांटो भरी होती है बाबू जी का वो ज्ञान बहुत याद आता है सोने की चिड़िया जिसे कहता था ज़माना " रवि" वो हिंदुस्तान बहुत याद आता है ©Ravi Gupta RT याद आता है