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मेरे हृदय में छुपी कला की पहचान हो तुम, आंखों में

मेरे हृदय में छुपी कला की पहचान हो तुम,
आंखों में छुपी खुशी, तनाव में सहारा हो तुम।

राग भी तुम,
संगीत भी तुम।

मेरी कला भी तुम,
मेरा जीवन भी तुम

चंदन भी तुम,
वंदन भी तुम।

घुंघरुओं की झंकार भी तुम,
मेरा हार श्रृंगार भी तुम।

मेरा अभिमान भी तुम,
मेरा वरदान भी तुम।

©Shishpal Chauhan
  #नृत्य_प्रेम