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रात ने पर फैलाए, आगोश में हैं सितारे| कोई पहरे पर

रात ने पर फैलाए, आगोश में हैं सितारे|
कोई पहरे पर खड़ा है गोरा सा बदन लेकर, 
सोई हुई है वो, रात की रानी नदी किनारे|
राकेश जाग रहा है नभ-भू-मण्डल पर, सोलह कलाएँ लेकर||

कोई दिशाओं से कहे, संदेश लेकर जाएँ|
सदियों से सूख रहा है, कण्ठ प्रीत की प्यास से, 
धरा घूम गई है धुरी पर, अन्तिम छोर से, 
कोई भोजपत्र तो लेकर जाएँ, हमारी ओर से||

                        --🔏मेरी_क़लम_की_रफ़्तार

©Rakesh Kumar #meri_kalam_ki_raftar
रात ने पर फैलाए, आगोश में हैं सितारे|
कोई पहरे पर खड़ा है गोरा सा बदन लेकर, 
सोई हुई है वो, रात की रानी नदी किनारे|
राकेश जाग रहा है नभ-भू-मण्डल पर, सोलह कलाएँ लेकर||

कोई दिशाओं से कहे, संदेश लेकर जाएँ|
सदियों से सूख रहा है, कण्ठ प्रीत की प्यास से, 
धरा घूम गई है धुरी पर, अन्तिम छोर से, 
कोई भोजपत्र तो लेकर जाएँ, हमारी ओर से||

                        --🔏मेरी_क़लम_की_रफ़्तार

©Rakesh Kumar #meri_kalam_ki_raftar