सह लूँगा हर गम मौन रह क़र......पी लूँगा गम का हर कतरा सागर बन क़र .....दग्ध हुए आकुल मन पर बरस जाऊँगा बादल बन क़र .......वक्त के थपेड़ो से निर्मित हर हताशा को दे दूंगा संबल आकाश बन क़र....... संबल ....