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छोटी-सी बात आज प्रेम के साथ! प्रेम, तुम जिस गत

छोटी-सी बात
आज प्रेम के साथ!



 प्रेम, तुम जिस गति से जीवन में आते हो, उसी गति से मेघ बनकर बरसते हो, तन, मन, जीवन सब भीगा जाते हो, सराबोर कर जाते हो, सोचने समझने का वक्त ही नहीं देते हो।

दबे पांव जाने कैसे मेरी कविताओं में आने लगते हो, आना तो आना मेरी कविताओं को मेरी तरह समझने भी लगे हो। और, इस बार तो तुमने हद कर दी, मुझे समझने के साथ-साथ अपनी कविताओं में जगह दे दी...!🥺

जानती हूं, रुकना तुम्हारा स्वभाव नहीं, ना ही कोई बहलाव है। तुम जो हो शुभ हो, तुमने कभी अपना रंग नहीं बदला। कभी मुझसे नहीं कुछ पूछा, ना कोई शंका जताई, जब तक तुम ठहरते हो.. जीवन सुरक्षित लगता है, सब व्यवस्थित लगता है। 

पता है, इस बार तुमने मुझे भी प्रेम बना लिया। जिजीविषा जगा दी। लालसा तुम्हें समेट लेने की जगा दी। कितना जरुरी था ये?♥️
हर बार की तरह क्यों नहीं बस भरने को आए, क्यों तरस लगाई मुझमें मेरे खालीपन को भरने की? बताओ! चले जाने की बात करते हो, क्यों? नही जाने दूंगी अब।
छोटी-सी बात
आज प्रेम के साथ!



 प्रेम, तुम जिस गति से जीवन में आते हो, उसी गति से मेघ बनकर बरसते हो, तन, मन, जीवन सब भीगा जाते हो, सराबोर कर जाते हो, सोचने समझने का वक्त ही नहीं देते हो।

दबे पांव जाने कैसे मेरी कविताओं में आने लगते हो, आना तो आना मेरी कविताओं को मेरी तरह समझने भी लगे हो। और, इस बार तो तुमने हद कर दी, मुझे समझने के साथ-साथ अपनी कविताओं में जगह दे दी...!🥺

जानती हूं, रुकना तुम्हारा स्वभाव नहीं, ना ही कोई बहलाव है। तुम जो हो शुभ हो, तुमने कभी अपना रंग नहीं बदला। कभी मुझसे नहीं कुछ पूछा, ना कोई शंका जताई, जब तक तुम ठहरते हो.. जीवन सुरक्षित लगता है, सब व्यवस्थित लगता है। 

पता है, इस बार तुमने मुझे भी प्रेम बना लिया। जिजीविषा जगा दी। लालसा तुम्हें समेट लेने की जगा दी। कितना जरुरी था ये?♥️
हर बार की तरह क्यों नहीं बस भरने को आए, क्यों तरस लगाई मुझमें मेरे खालीपन को भरने की? बताओ! चले जाने की बात करते हो, क्यों? नही जाने दूंगी अब।
shree3018272289916

Shree

New Creator

प्रेम, तुम जिस गति से जीवन में आते हो, उसी गति से मेघ बनकर बरसते हो, तन, मन, जीवन सब भीगा जाते हो, सराबोर कर जाते हो, सोचने समझने का वक्त ही नहीं देते हो। दबे पांव जाने कैसे मेरी कविताओं में आने लगते हो, आना तो आना मेरी कविताओं को मेरी तरह समझने भी लगे हो। और, इस बार तो तुमने हद कर दी, मुझे समझने के साथ-साथ अपनी कविताओं में जगह दे दी...!🥺 जानती हूं, रुकना तुम्हारा स्वभाव नहीं, ना ही कोई बहलाव है। तुम जो हो शुभ हो, तुमने कभी अपना रंग नहीं बदला। कभी मुझसे नहीं कुछ पूछा, ना कोई शंका जताई, जब तक तुम ठहरते हो.. जीवन सुरक्षित लगता है, सब व्यवस्थित लगता है। पता है, इस बार तुमने मुझे भी प्रेम बना लिया। जिजीविषा जगा दी। लालसा तुम्हें समेट लेने की जगा दी। कितना जरुरी था ये?♥️ हर बार की तरह क्यों नहीं बस भरने को आए, क्यों तरस लगाई मुझमें मेरे खालीपन को भरने की? बताओ! चले जाने की बात करते हो, क्यों? नही जाने दूंगी अब। #a_journey_of_thoughts #unboundeddesires #lovepoemsarebest #shreekibaat_AJOT