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कांधो पे अपनी लाश को ढोना कमाल है खुद्दार इस क़दर

कांधो पे अपनी लाश को ढोना कमाल है
खुद्दार इस क़दर का भी होना कमाल है

और जिस शहर में नुमाइशें अश्कों की हो वहां
आंखें बिना भिगोए ही रोना कमाल है

©ALTAMASH KABEER
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