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लोभ नही करना कभी , यह है माया जाल । बचकर चल इंसान

लोभ नही करना कभी , यह है माया जाल ।
बचकर चल इंसान तू , इसकी टेढ़ी चाल ।।

लोभी मन होते नही , देख किसी के खास ।
अवसर पाते ही सुनो , तोडे मन की आस ।।

लोभी को मिलता नही , देख कभी आराम ।
भज ले चाहे वो सदा , नित गिरधर का नाम ।।

लोभी मन होते नही , देख कभी प्रभु धाम ।
लोभी तो भटकें सदा , भजते माया नाम ।।

लोभ अगर मन में जगे , सुमिरि सिया पति नाम ।
उनके पावन नाम से , मन हो जाये धाम ।।

१७/०५/२०२३   -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR लोभ नही करना कभी , यह है माया जाल ।
बचकर चल इंसान तू , इसकी टेढ़ी चाल ।।

लोभी मन होते नही , देख किसी के खास ।
अवसर पाते ही सुनो , तोडे मन की आस ।।

लोभी को मिलता नही , देख कभी आराम ।
भज ले चाहे वो सदा , नित गिरधर का नाम ।।
लोभ नही करना कभी , यह है माया जाल ।
बचकर चल इंसान तू , इसकी टेढ़ी चाल ।।

लोभी मन होते नही , देख किसी के खास ।
अवसर पाते ही सुनो , तोडे मन की आस ।।

लोभी को मिलता नही , देख कभी आराम ।
भज ले चाहे वो सदा , नित गिरधर का नाम ।।

लोभी मन होते नही , देख कभी प्रभु धाम ।
लोभी तो भटकें सदा , भजते माया नाम ।।

लोभ अगर मन में जगे , सुमिरि सिया पति नाम ।
उनके पावन नाम से , मन हो जाये धाम ।।

१७/०५/२०२३   -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR लोभ नही करना कभी , यह है माया जाल ।
बचकर चल इंसान तू , इसकी टेढ़ी चाल ।।

लोभी मन होते नही , देख किसी के खास ।
अवसर पाते ही सुनो , तोडे मन की आस ।।

लोभी को मिलता नही , देख कभी आराम ।
भज ले चाहे वो सदा , नित गिरधर का नाम ।।