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मेरी बहन बचपन से बो निराली थी, संस्कारो को ओढ़ बो,

मेरी बहन
बचपन से बो निराली थी,
संस्कारो को ओढ़ बो,परिवार की रखवाली थी , 
गलती होने पर बो पूरा घर,सर पर उठा लेती थी , 
आज घर में उसकी कमी महसूस होती थी , 
दिवाली पर घर के आँगन,में सुंदर रांगोली उकेर देती थी , 
आज उसके न होने पर दिवाली,हमारी अधूरी होती थी , 
कभी काम उसे माँ तक,नहीं करने देती थी ,
लेकिन आज सुबह से शाम उसकी , 
ससुराल में काम करते करते होती थी , 
घर पर थी तो वह हमारी जिम्मेदारी थी , 
लेकिन आज बो ही अपने परिवार को,
जिम्मेदार बनाती थी , 
हर गलती पर वह मुझे थोड़ा चिल्ला देती थी , 
लेकिन आज उसकी ही कमी मुझे बहुत खलती थी , 
जब वह रोती थी तो हम सबको भी रुला देती थी , 
उसे मनाते मनाते बो चिल्लाती थी , 
और फिर हमे हंसा देती थी , 
इतिहास में भी बहन एक अनोखी तस्वीर होती थी ,
जो माँ का द्वितीय स्वरूप प्रतीत होती थी #मेरी_बहन
 shivam kumar mishra रोहित तिवारी ।
मेरी बहन
बचपन से बो निराली थी,
संस्कारो को ओढ़ बो,परिवार की रखवाली थी , 
गलती होने पर बो पूरा घर,सर पर उठा लेती थी , 
आज घर में उसकी कमी महसूस होती थी , 
दिवाली पर घर के आँगन,में सुंदर रांगोली उकेर देती थी , 
आज उसके न होने पर दिवाली,हमारी अधूरी होती थी , 
कभी काम उसे माँ तक,नहीं करने देती थी ,
लेकिन आज सुबह से शाम उसकी , 
ससुराल में काम करते करते होती थी , 
घर पर थी तो वह हमारी जिम्मेदारी थी , 
लेकिन आज बो ही अपने परिवार को,
जिम्मेदार बनाती थी , 
हर गलती पर वह मुझे थोड़ा चिल्ला देती थी , 
लेकिन आज उसकी ही कमी मुझे बहुत खलती थी , 
जब वह रोती थी तो हम सबको भी रुला देती थी , 
उसे मनाते मनाते बो चिल्लाती थी , 
और फिर हमे हंसा देती थी , 
इतिहास में भी बहन एक अनोखी तस्वीर होती थी ,
जो माँ का द्वितीय स्वरूप प्रतीत होती थी #मेरी_बहन
 shivam kumar mishra रोहित तिवारी ।