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संवारना ही है तो मन,विचार और आचरण संवारो सिर्फ तन

संवारना ही है तो मन,विचार और आचरण संवारो
सिर्फ तन को संवारने से कुछ नहीं होगा।

ध्यान देना है तो अपनी खामियों पर ध्यान दो, औरों
की नहीं।

बोलने से पहले उसे दिल और दिमाग के तराजू पर
तौलो, फिर बोलो क्योंकि बोली या वाणी अनमोल
होती है।

प्रेम के गुलाम सभी दिल से होते हैं पर  किसी भी।    प्रकार के भय का गुलाम मजबूरी होते हैं।
 
राजा की पूजा उसी के राज्य में होती है जबकि विद्वान
की पूजा सब जगह होती है।

गोविंद से भी बढ़कर गुरु होता है क्योंकि वह गोविंद
तक पहुंचने का रास्ता बताता है।

©नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)
  अनमोल वचन