चेहरे पे चेहरा और मुखौटे पे मुखौटा लगाए फिरते है, न जाने क्यों??लोग झूठ की दुकान लगाए फिरते है। सच से मुंह मोड़कर , झूठ की शान बनाए फिरते है। और कहा रही वो बातें, जो पहले हुआ करते थे , किसी लड़की को देख मुसीबत में, बिना रिश्ते के लड़ा करते थे। इज्जत होती थी दिल से , एक पराए व्यक्ति को भी अपना बनाया करते थे । वो दिन भी कितना प्यारा था, जब लोग रिश्ते दिल से निभाया करते थे। बच के रहना ए दोस्त , यहां लोग दिखावा बहुत करते है। किसी एक पे नहीं, यहां अक्सर लोग हजारों पे मरते है और l love you, ये बस खेल है आज कल की , जिससे अक्सर लोग बड़े दिल से खेला करते है, और भ्रम हो जाता है किसी एक को , की कोई है जो उनसे प्यार किया करते है। ©पूर्वार्थ #Raftaar #मुखौटा