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*आदते मौसम बदलता ऋतु में बदलती वक्त बदल जाता है। प

*आदते
मौसम बदलता ऋतु में बदलती वक्त बदल जाता है।
पर ना जाने हटी आदतें कितना बदला करती
 कुत्ते की दुम की तरह यह कभी ना सुधरा करती
 यह दुनिया आदतों से ही तो इंसान को  तौला करती
  बदलते हैं लोग मगर आदत ना बदला करती
 चोर करे चोरी खाकर लाखो डंडे डंडे खाना मंजूर है लेकिन आदतें ना बदला करती 
जोर-जोर से शोर मचा कर देश को बदला जाता है पर यह एक भ्रम है केवल शब्दों में ही रह जाता है
 वैसे हम हैं भाई भाई हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई एक मुद्दे लेकर करते हम सालों साल लड़ाई सब बदल जाता है लेकिन आदतें ना बदला करती
 बच्चों को तुम खूब पढ़ाओ बड़े-बड़े दफ्तर में बिठाओं  पर बाद जब घोड़ी चढ़ने की आती दहेज के लिए होती हर वक्त लड़ाई बदलता है समाज लेकिन आदते बदला नहीं करती
मुन्ना आए खुशियों का मेला मुन्नी के आने से होती है उदासी ना जाने कौन सुलझाए यह अलबेली सी पहेली बदलते हैं रंगों के मेले पर आते ना बदला करती 
सब कुछ बदल जाता है लेकिन आदतें ना बदला करती यह दुनिया आदतों से ही इंसान को तो ना करती



दीपिका बेलवाल #आदतें
*आदते
मौसम बदलता ऋतु में बदलती वक्त बदल जाता है।
पर ना जाने हटी आदतें कितना बदला करती
 कुत्ते की दुम की तरह यह कभी ना सुधरा करती
 यह दुनिया आदतों से ही तो इंसान को  तौला करती
  बदलते हैं लोग मगर आदत ना बदला करती
 चोर करे चोरी खाकर लाखो डंडे डंडे खाना मंजूर है लेकिन आदतें ना बदला करती 
जोर-जोर से शोर मचा कर देश को बदला जाता है पर यह एक भ्रम है केवल शब्दों में ही रह जाता है
 वैसे हम हैं भाई भाई हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई एक मुद्दे लेकर करते हम सालों साल लड़ाई सब बदल जाता है लेकिन आदतें ना बदला करती
 बच्चों को तुम खूब पढ़ाओ बड़े-बड़े दफ्तर में बिठाओं  पर बाद जब घोड़ी चढ़ने की आती दहेज के लिए होती हर वक्त लड़ाई बदलता है समाज लेकिन आदते बदला नहीं करती
मुन्ना आए खुशियों का मेला मुन्नी के आने से होती है उदासी ना जाने कौन सुलझाए यह अलबेली सी पहेली बदलते हैं रंगों के मेले पर आते ना बदला करती 
सब कुछ बदल जाता है लेकिन आदतें ना बदला करती यह दुनिया आदतों से ही इंसान को तो ना करती



दीपिका बेलवाल #आदतें