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हालातों के हांथो में सौंप कर खुशियाँ अपनी तुम कब



हालातों के हांथो में सौंप कर खुशियाँ अपनी
तुम कब तक खुश हो पाओगे
वजहों की ज़ंजीरों से जकड़ कर ख़ुदी को
रहीम की ख़ुदाई कैसे कर पाओगे
जितना मिले कम या अधूरा ही रहेगा हरदम
यूँ खुदगर्ज़ी में आख़िर कब तक जी पाओगे
अपने रोने पे रोना तो आता हैं सभी को
आँसुओं का हिसाब कितना रख पाओगे...!

©Vaishnavi 
  💙🤍👣
#Kabtak  Neer  Anshu writer  Ravi Sharma Internet Jockey Prashant Shakun "कातिब"