आज फिर से एक घर उजड़ते देखा,
आज फिर से एक पुष्प झड़ते देख।
आज फिर से देखा लालटेन को बुझते हुए,
रो-रोकर किसी के आँखों को सूजते हुए।
आज फिर एक घर में, मायूसी छा गई,
आज फिर एक नादान रूह, रब को पा गई।
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